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FIIs ने दिए खरीददारी के छुपे संकेत, PE Ratio में चमक |

वर्तमान में भारतीय शेयर बाजार एक महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा है, जहां विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की भारी बिकवाली और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की सीमित खरीदारी ने बाजार की दिशा को प्रभावित किया है। इस लेख में, हम वर्तमान बाजार स्थिति, पिछले 10 वर्षों में निफ्टी के पीई अनुपात और प्रदर्शन का विश्लेषण करेंगे, और समझेंगे कि बाजार क्यों नहीं बढ़ रहा है तथा किन महत्वपूर्ण बिंदुओं के बाद बाजार में वृद्धि संभव है।

Fiis Hideen buying



वर्तमान भारतीय शेयर बाजार की स्थिति: FII की बिकवाली, DII की सीमित खरीदारी और बाजार का विश्लेषण


भारतीय शेयर बाजार हाल ही में अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। निवेशक लगातार देख रहे हैं कि निफ्टी और सेंसेक्स क्यों ठहराव पर हैं और आगे क्या हो सकता है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा भारी बिकवाली और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की अपेक्षाकृत कमजोर खरीदारी ने बाजार पर दबाव बना रखा है।

यह लेख मौजूदा बाजार स्थिति, FII-DII प्रवाह, बाजार मूल्यांकन, निफ्टी के पिछले 10 वर्षों के प्रदर्शन और PE (Price to Earnings) अनुपात के आधार पर बाजार के भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण करेगा।


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1. वर्तमान भारतीय बाजार की स्थिति: FII की भारी बिकवाली और DII की सीमित खरीदारी

FII की बिकवाली: विदेशी निवेशकों का भरोसा कम क्यों हो रहा है?

पिछले कुछ महीनों में, विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में भारी बिकवाली की है। इसका मुख्य कारण अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरें और अन्य उभरते बाजारों की तुलना में भारत में अधिक मूल्यांकन है।

मुख्य बिंदु:

FII की बिकवाली: पिछले 6 महीनों में, FII ने भारतीय बाजार से ₹2 लाख करोड़ से अधिक निकाले हैं।

डॉलर इंडेक्स का प्रभाव: जब डॉलर इंडेक्स मजबूत होता है, तो उभरते बाजारों से निवेश बाहर जाता है, जिससे FII की बिकवाली बढ़ती है।

ब्याज दरों में वृद्धि: अमेरिका में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने से विदेशी निवेशकों को भारत के बजाय अमेरिका में निवेश करना अधिक आकर्षक लग रहा है।


DII की सीमित खरीदारी: क्या घरेलू निवेशक बाजार को बचा सकते हैं?

घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) जैसे म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां और पेंशन फंड, भारतीय बाजार में स्थिरता बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उनकी खरीदारी FII की बिकवाली की भरपाई नहीं कर पा रही है।

मुख्य बिंदु:

DII की खरीदारी: 2024 में DII ने लगभग ₹1.5 लाख करोड़ की खरीदारी की, लेकिन यह FII की बिकवाली को पूरी तरह संतुलित नहीं कर सका।

SIP फ्लो: खुदरा निवेशकों द्वारा SIP (Systematic Investment Plan) के माध्यम से निवेश जारी है, लेकिन बाजार को ऊपर उठाने के लिए यह पर्याप्त नहीं है।

Panic in Market


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2. भारतीय शेयर बाजार क्यों नहीं बढ़ रहा है ?

a) उच्च मूल्यांकन: बाजार पहले से ही महंगा है -

निफ्टी 50 का वर्तमान फॉरवर्ड PE अनुपात लगभग 20-21 के आसपास है, जो इसके दीर्घकालिक औसत के करीब है।

2015-16 में निफ्टी का औसत PE 18-20 के बीच था।

2017-18 में बुल रन के दौरान यह 25-27 तक पहुंच गया।

2020-21 (कोविड के बाद) में बाजार में तेज़ उछाल के कारण यह 28-30 तक चला गया।


वर्तमान में, बाजार उच्च मूल्यांकन पर है, जिससे नई खरीदारी सीमित हो रही है।

b) कॉर्पोरेट आय में सुस्ती -

कई कंपनियों की आय वृद्धि उम्मीदों से कम रही है, जिससे निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ गई है।

निफ्टी 50 कंपनियों की Q3 (अक्टूबर-दिसंबर) 2024 की आय वृद्धि मात्र 5% रही।

इससे पहले की तिमाही में यह 8% थी, और उससे पहले 10%।

लगातार तीन तिमाहियों से आय वृद्धि में गिरावट बाजार पर दबाव बना रही है।


c) वैश्विक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव -

अमेरिका-चीन ट्रेड वार: वैश्विक बाजारों में अस्थिरता के कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से दूर हो रहे हैं।

यूरोप में मंदी के संकेत: यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं की सुस्ती का असर वैश्विक बाजारों पर पड़ रहा है।

कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें: इससे भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है, जिससे रुपये पर दबाव पड़ेगा और बाजार प्रभावित हो सकता है।



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3. बाजार कब और कैसे बढ़ सकता है?

a) FII की वापसी

यदि अमेरिका में ब्याज दरें स्थिर होती हैं और डॉलर इंडेक्स कमजोर होता है, तो FII फिर से भारतीय बाजार में निवेश कर सकते हैं।

b) कॉर्पोरेट आय में सुधार

यदि कंपनियों की आय वृद्धि में सुधार होता है, तो बाजार में नई तेजी आ सकती है।

c) सरकार और RBI के नीतिगत कदम

यदि RBI ब्याज दरों में कटौती करता है, तो लिक्विडिटी बढ़ेगी और बाजार में तेजी आ सकती है।

सरकार की ओर से प्रोत्साहन पैकेज या नीतिगत सुधार भी बाजार के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।



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4. पिछले 10 वर्षों में निफ्टी का प्रदर्शन और PE अनुपात विश्लेषण:

जब भी PE 25+ रहा, बाजार में या तो तेज़ उछाल आई या अगले साल गिरावट देखी गई।

जब PE 20-22 के बीच था, तब बाजार ने स्थिर और सधा हुआ रिटर्न दिया।


वर्तमान में:

निफ्टी का PE 20-21 है, जो दर्शाता है कि बाजार का मूल्यांकन संतुलित है।

यदि आय वृद्धि सुधरती है, तो बाजार 5-10% की वृद्धि दिखा सकता है।



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5. निवेशकों के लिए सुझाव

1. लॉन्ग टर्म अप्रोच अपनाएं – बाजार में अस्थिरता बनी रहेगी, लेकिन अच्छे स्टॉक्स में SIP जारी रखें।


2. हाई PE वाले स्टॉक्स से बचें – पहले से महंगे स्टॉक्स में निवेश करने से बचें।


3. गुणवत्तापूर्ण कंपनियों पर ध्यान दें – मजबूत फंडामेंटल और अच्छे मैनेजमेंट वाली कंपनियों में निवेश करें।


4. गिरावट में निवेश के अवसर देखें – हर गिरावट में अच्छी कंपनियों को खरीदने का मौका होता है।


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निष्कर्ष

भारतीय शेयर बाजार फिलहाल अस्थिरता के दौर में है, जिसमें FII की बिकवाली, कॉर्पोरेट आय में सुस्ती और वैश्विक अनिश्चितता बड़ी वजहें हैं। हालांकि, लंबी अवधि में भारत की ग्रोथ स्टोरी मजबूत बनी हुई है। निवेशकों को बाजार में गिरावट को अवसर के रूप में देखना चाहिए और अच्छी कंपनियों में SIP जारी रखना चाहिए।

क्या भारतीय शेयर बाजार 2025 में नई ऊंचाइयां छू सकता है? इसका जवाब कंपनियों की आय वृद्धि, ब्याज दरों की नीति और FII की वापसी पर निर्भर करेगा।

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